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रविवार, 28 अगस्त 2022

हरतालिका तीज--2022

  Sunil sardar       रविवार, 28 अगस्त 2022

 

              



               हरतालिका तीज--2022

       [ मनोवांछित वर एवं अखंड सौभाग्य  प्राप्ति के लिए किए जाने वाले व्रत  । ]



हरतालिका तीज 2022
हरतालिका तीज 



प्रति वर्ष  भादो माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को  कज्जली तीज  या  हरतालिका तीज मनाया जाता है।इस वर्ष  हरतालिका तीज 30 अगस्त को मनाया जाएगा।  


पुराने जमाने से इस वर्ष को विवाहित महिलाएं करती आ रही है। पूरे दिन निर्जला उपवास रहकर  महिलाएं अपने पति की लंबी आयु  एवं अखंड सौभाग्य की मनोकामना पूरी  करने  हेतु इस दिन भगवान शंकर एवं माता पार्वती  की पूजा करती है। 



करवा चौथ पर्व की उत्पत्ति भी इसी पर्व से माना जाता है।  परंतु वर्तमान समय में अविवाहिता द्वारा भी मनचाहा  जीवनसाथी  प्राप्त करने हेतु इस व्रत को मनाया जाने लगा है।


हरतालिका तीज  



क्या आप जानते हैं हरतालिका तीज क्यों मनाया जाता है  एक मान्यता के अनुसार सबसे पहले गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने इस व्रत को किया था जिससे उन्हें भगवान शंकर पति के रूप में प्राप्त हुए थे।





हरतालिका तीज 2022
हरतालिका तीज व्रत  कथा  






हरतालिका तीज के दिन ही देवी पार्वती की भक्ति और व्रत से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया था। 


देवी पार्वती के कहने पर भगवान शंकर ने यह आशीर्वाद दिया था कि जो भी कुंवारी कन्या  विधि विधान से इस व्रत को रखेगी उसके विवाह में आने वाले सभी अड़चने दूर होंगे और उन्हें मनोवांछित  वर की प्राप्ति होगी ।


इसलिए कुंवारी कन्याएं भी  मनोवांछित वर  प्राप्ति के लिए  इस दिन पूरी विधि विधान से व्रत रखकर माता पार्वती  की पूजा करती है। 


उत्तर भारत में कुंवारी कन्याएं मनवांछित वर पाने के लिए एवं विवाहित महिलाएं। अखंड सौभाग्य और पति के दीर्घायु के लिए। इस व्रत को करती है।


विवाहित महिलाएं अपने पति के दीर्घायु के लिए  पूरी विधि विधान  एवं  साज  श्रृंगार के साथ  पूरे दिन निर्जला रहकर व्रत का पालन करती है एवं शिव पार्वती की पूजा  करती हैं।


 रीति-रिवाजों के अनुसार हरतालिका तीज में विवाहित महिलाओं के  साज श्रृंगार की  सामग्रियां उनके मायके से  आने की परंपरा है । 

इस दिन महिलाएं विशेषकर हरे रंग की  परिधान पहनती है।  हरे रंग के परिधान या साड़ी ना होने पर  लाल या गुलाबी रंग की साड़ी या दुपट्टा ओढ़नी भी पहनती है।



हरतालिका तीज व्रत के नियम



 हरतालिका तीज व्रत के दिन निर्जला और निराहार रहकर व्रत का पालन किया जाता है।   अन्न जल  का सेवन वर्जित होता है। हालांकि गर्भवती महिलाएं जो व्रत का पालन कर रही हो। उनको फलाहार की अनुमति होती है।

हरतालिका तीज व्रत करने पर उसे बीच में छोड़ा नहीं जाता है  प्रत्येक वर्ष इस व्रत को करना जरूरी होता है ।

 हरतालिका तीज व्रत में सोना वर्जित होता है। यानी दिन या रात में सोना  मना होता है। रात्रि जागरण  एवं। भजन कीर्तन करना चाहिए ।

 हरतालिका तीज व्रत कुंवारी कन्याएं एवं विवाहित महिलाएं करती है।



हरतालिका तीज व्रत की पूजन विधि




हरतालिका तीज में श्री गणेश ,भगवान शंकर  एवं माता पार्वती  की विधिवत पूजा की जाती है। 

सबसे पहले मिट्टी से श्री गणेश भगवान शंकर और माता पार्वती की प्रतिमा बना कर आसन पर बिठाते हैं।  उसके बाद श्रीगणेश को तिलक और दुर्वा अर्पण की जाती है। 

उसके बाद भगवान शंकर को फूल बेलपत्र और शमी पत्र अर्पण कर तत्पश्चात माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पण की जाती है। 

तीनों देवताओं को वस्त्र अर्पण करने के बाद हरतालिका तीज व्रत कथा सुना या पढ़ा जाता है।

तत्पश्चात सर्वप्रथम श्री गणेश जी की आरती करके उसके बाद भगवान शंकर और माता पार्वती की आरती की जाती है। 

रात्रि जागरण करके सुबह  पूजा के बाद माता पार्वती को सिंदूर  चढ़ा कर एवं हलवा और ककड़ी का भोग लगाकर  अंत में ककड़ी खा कर उपवास तोड़ा जाता है। 

फिर अंत में सभी पूजन  सामग्री को एकत्रित करके नदी या किसी कुंड में विसर्जित कर दिया जाता है। इसके साथ ही  पारण के बाद  व्रत  पूरा हो जाता है। 















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2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर ! काफी रोचक एवं ज्ञानवर्धक ।
    तिज को बिहार और उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में छठ के बाद दूसरे महापर्व के रूप में भी जाना जाता है।
    जहां छठ महापर्व में पुत्र प्राप्ति और उसकी सलामती डूबते और उगते सूर्य की अर्घ्य (अराधना ) के साथ मनाया जाता है।
    मनचाहा वर और पति की सलामती हेतु पार्वती और शंकर भगवान की पूजा की जाती है।

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    उत्तर
    1. धन्यवाद श्रीकांत जी। हमारे ब्लॉग में आकर हमारे उत्साहवर्धन के लिए आपका आभार।

      हटाएं

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